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सोशल नैटवर्किंग बैवसाइटों को निर्देश, 15 दिनों के अंदर हटाएं आपत्तिजनक सामग्री

नई दिल्ली, 7 फरवरी : दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को गूगल, फेसबुक, याहू आदि 21 प्रमुख इंटरनेट साइटों और सर्च इंजन को 15 दिनों के अंदर अपनी बैवसाइटों से आपत्तिजनक सामग्री हटाने का निर्देश दिया है। रोहिणी स्थित अदालत ने बैवसाइटों पर आपत्तिजनक और अश्लील सामग्री पोस्ट किए जाने पर सख्त रवैया अपनाते हुए कहा कि उन्हें और समय नहीं दिया जायेगा। उन्हें यह सामग्री हटाकर 15 दिन के अंदर अपनी अमल रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। अदालत ने इससे पूर्व 24 दिसम्बर को इन बैवसाइटों को 6 फरवरी तक सामग्री हटाने का निर्देश दिया था।
इस बीच सामाजिक सर्च बैवसाइट फेसबुक ने अदालत के पहले के निर्देश पर सोमवार को अपनी अमल रिपोर्ट दाखिल की। रोहिणी सिविल अदालत के न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने अदालत के निर्देश का सही उत्तर नहीं देने के लिए सर्च इंजन गूगल पर नाराजगी जताते हुए पूछा कि वे उचित जवाब दाखिल क्यों नहीं कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता मुफ्ती एजाज अरशद काजमी ने अदालत में यह मामला दायर किया है। वैबसाइटों के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री को लेकर राजधानी के एक पत्रकार विनय राय ने एक आपराधिक मामला भी दायर किया है, जिस पर पटियाला हाउस अदालत में सुनवाई चल रही है। इस कार्यवाही को रुकवाने के लिए वेबसाइटों ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील की थी, लेकिन उसने कार्यवाही रोकने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने तल्ख टिप्पणी की थी कि यदि वैबसाइटें आपत्तिजनक सामग्री हटाने की प्रणाली विकसित नहीं करती हैं, तो उन्हें चीन की तरह प्रतिबंधित किया जा सकता है।

वैबसाइटों को ब्लाक या सैंसर करने का कोई सवाल ही नहीं : सचिन पायलट
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री सचिन पायलट ने कहा कि किसी भी सोशल नैटवर्किंग और अन्य वैबसाइटों को ब्लाक या सैंसर करने का कोई सवाल ही नहीं उठता लेकिन उसने यह भी कहा कि इन वैबसाइटों को भारतीय कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा और जवाबदेह रहना चाहिए। उन्होंने यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि वैबसाइटों के नियंत्रण संबंधी कानून इस प्रकार की कंपनियों से विचार-विमर्श और बातचीत कर बनाए गए हैं।


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